सरदार वल्लभ भाई पटेल
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 31अक्टूबर 1875ई को गुजरात में हुआ था,इनके पिता का नाम झावेरभाई पटेल और माता का नाम लाडवादेवी था। सरदार बल्लभ भाई पटेल बचपन से ही बहुत मेहनती थे, ये अपने पिता की सहायता खेती में करते थे। पटेल ने 1896ई में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। बल्लभ भाई पटेल ने लंदन से बैरिस्टर की पढ़ाई की और इसके बाद पुन: भारत आकर अहमदाबाद में वकालत शुरू की।कश्मीर से कन्याकुमारी तक फैली विशाल भारत की कल्पना बल्लभ भाई पटेल हीं साकार की थी। इन्होंने कई देसी रियासतो को अपनी सूझबूझ,बुद्धिमत्ता से भारत में विलय किया। सरदार वल्लभ भाई पटेल को सरदार नाम बारडोली सत्याग्रह के बाद मिला।
सरदार बल्लभ भाई पटेल बहुत ही अच्छे और जाने-माने वकील थे,उन दिनों उनकी प्रसिद्धि दिन प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही थी।वे चुनौती देकर मुकदमे को अपनी तर्क शक्ति और बुद्धि से जीत जाते थे।
संघर्ष व राजनीति
गांधीजी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने अंग्रेजी कुमत की गलत नीतियों का विरोध करना चालू कर दिया था। उन्होंने विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार करके स्वदेशी खादी कुर्ता आदि कपड़ों को अपनाया और विदेशी वस्तुओं की होली जलायी। वल्लभभाई पटेल ने भयंकर सूखा की चपेट में आए किसानों को भी अंग्रेजों से कर्ज माफी करवाई और किसानों के लिए भी बहुत संघर्ष किया और सफलता भी प्राप्त की।
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के गृह मंत्री एवं उपप्रधानमंत्री बने। उन्होंने अपनी सूझबूझ और बुद्धि से 562 रियासतों को भारत में विलय किया और भारतीय एकता को बढ़ावा दिया।सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौहपुरुष के नाम से भी जाना जाता है।15 दिसंबर 1950ई को भारत का यह महानायक पंचतत्व में विलीन हो गया।
पटेल का सम्मान
सरदार वल्लभ भाई पटेल को मरणोपरांत 1991ई को भारत रत्न से सम्मानित किया गया। 31 अक्टूबर 2013 को सरदार बल्लभ भाई पटेल की 137वी जयंती पर नरेंद्र मोदी ने गुजरात के नर्मदा जिले में सरदार सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति का शिलान्यास किया जिसकी ऊंचाई 240 मीटर थी और उसका नाम 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' रखा गया।
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