राजा राममोहन राय
राजा राममोहन राय का जन्म 22 मई 1772ई में बंगाल के राधा नगर नामक गांव में हुआ था।यह जाति से ब्राह्मण थे,इनके पिता का नाम रमाकांत राय तथा माता का नाम तारिणी देवी था।
राजा राममोहन राय ने 15 वर्ष की आयु में ही बंगला,संस्कृत,अरबी और फारसी भाषाएं सीख ली थी।
राजा राममोहन राय ने समाज में फैली कुरीतियों और अंधविश्वासों का पूर्णतया विरोध किया। राजा राममोहन राय ने 1828ई में ब्रह्म समाज की स्थापना की और ईश्वर की एकता को दर्शाते हुए मूर्ति पूजा का विरोध किया। राजा राममोहन राय हिंदुओं में चल रही कुप्रथाओं के खिलाफ थे। उन्होंने सती प्रथा,जातिवाद,बाल-विवाह का विरोध किया और इसकी घोर निंदा की और इसे सुधारने का बहुत प्रयास किया।
राजा राममोहन राय ने ब्राह्मणी,संवाद कौमुदी, मिरात-उल-अकबर नाम की पत्रिकाएं विभिन्न भाषाओं अंग्रेजी,हिंदी,फारसी और बंगाली में प्रकाशित की जिससे लोग शिक्षित हो सके। राजा राममोहन राय ऐतिहासिक व्यक्ति थे।उन्होंने समाज को सुधारने,कुप्रथाओ से दूर रहने के लिए बहुत ही सराहनीय प्रयास किए।
राजा राममोहन राय 27 सितंबर 1835ई पंचतत्व में विलीन हो गए।
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