अशफाक उल्ला खाँ
अशफाक उल्ला खान का जन्म उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर के जलाल नगर में 22 अक्टूबर 1900ई में हुआ था।उनके पिता का नाम मोहब्बत सफीक और माता का नाम मजहूरुन्नीशा बेगम था।
राम प्रसाद बिस्मिल से मुलाकात
अशफाक उल्ला खाँ जब राम प्रसाद बिस्मिल के बारे में सुना तो वे उनसे मिलने के लिए बेताब हो गए। कुछ समय बाद राम प्रसाद बिस्मिल से उनकी मुलाकात शाहजहांपुर में हुयी।कई बार राम प्रसाद बिस्मिल से उनकी मुलाकात हुई फिर इसके उन्होंने बिस्मिल का विश्वास जीत लिया और उनके क्रांतिकारी संगठन मात्रदेवी में शामिल हो गए।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल
अशफाक उल्ला खाँ की सलाह पर राम प्रसाद बिस्मिल,अशफाक के साथ भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गये। यहां पर उनकी मुलाकात हसरत मोहानी से हुई जब हसरत मोहानी द्वारा भेजे गये पूर्ण स्वराज के प्रस्ताव को गांधी जी ने अस्वीकार कर दिया तब कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जमकर हंगामा किया और गांधीजी को पूर्ण स्वराज का प्रस्ताव स्वीकार करना ही पड़ा।
अशफाक की दूरदर्शिता
कुछ समय बाद राम प्रसाद बिस्मिल ने संगठन को मजबूत करने के लिए अमीरों के घर डकैती व सरकारी खजाने को लूटने का निश्चय किया,इस पर अशफाक उल्ला खाँ ने उनका अकेले ही विरोध किया और कहा ऐसा करने पर अंग्रेजी हुकूमत हाथ धोकर उनके पीछे पड़ जाएगी और उनके संगठन को पूर्णतया खत्म कर देगी लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी और काकोरी में स्टेशन पर ट्रेन रोककर सरकारी खजाने को लूट लिया। इसके बाद अंग्रेजी सरकार ने संगठन के अधिकतर क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया लेकिन अशफाक उल्ला खां पुलिस की गिरफ्त से भाग निकले।इसके बाद वे कानपुर गए और बाद में दिल्ली अपने दोस्त के पास गए,इनाम के लालच में आकर उनके दोस्त ने उनके साथ विश्वासघात कर दिया और इस कारण अशफ़ाकउल्लाह गिरफ्तार हो गए।पुलिस ने उन्हें सरकारी गवाह बनाने के लिए बहुत दबाव डाला परंतु उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया।
शहादत की प्राप्ति
19 दिसंबर 1927ई को फैजाबाद जिले में अशफ़ाक उल्ला खाँ को फांसी दे दी गई।
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