मंगल पांडे
मंगल पांडे का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के नगवा गांव में 19 जुलाई 1827ई को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम दिवाकर पांडे तथा माता का नाम अभय रानी था। 22 साल की उम्र में मंगल पांडे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में शामिल हो गए।मंगल पांडे बैरकपुर छावनी में एक सिपाही थे। जब कंपनी की सेना के लिए नए कारतूस का प्रयोग शुरू हुआ तो इन कारतूसो को राइफल में प्रयोग करने से पहले दांतो से खोलना पड़ता था तब भारतीय सैनिकों के बीच खबर फैल गई कि कारतूसो को बनाने में गाय व सूअर की चर्बी का प्रयोग किया जाता है और यह हिंदू और मुसलमान दोनों के धर्मों के खिलाफ था।
9 फरवरी 1857 को जब कारतूस सेना को बांटा गया तब मंगल पांडे ने उसे लेने से साफ इंकार कर दिया इसके परिणाम स्वरूप उन्हें सेना से निकालने का हुक्म दिया गया और मंगल पांडे ने इस आदेश को मानने से साफ इंकार कर दिया तब अंग्रेजन की राइफल छीनने के लिए आगे बढ़े तो मंगल पांडे ने उन पर आक्रमण कर दिया।
29 मार्च 1857 को मंगल पांडे ने अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया। साथियों के साथ ना देने के कारण मंगल पांडे ने अपनी राइफल से मेजर ओशन को गोली मार दी। इसके बाद मंगल पांडे का कोर्ट मार्शल करवा दिया गया और 6 अप्रैल 1857 को फांसी की सजा सुना दी गई।
फांसी के तय किए गए दिन 18 अप्रैल 1857 से 10 दिन पहले ही 8 अप्रैल 1857ई को मंगल पांडे को फांसी दे दी गयी।
1857 की क्रांति में मंगल पांडे के विद्रोह ने एक चिंगारी का कार्य किया और देखते ही देखते यह विद्रोह पूरे उत्तरी भारत में फैल गया।अलग-अलग शहरों से बहुत से क्रांतिकारियों ने विद्रोह के खिलाफ आवाज उठाई और विद्रोह में शामिल हुए।
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